गोंड और कहार के इतिहास की जानकारी आदिवासी का संक्षिप्त इतिहास नामक पुस्तक जिसके लेखक स्व० बल्देव गोड है! से ली जा सकती है।आप उत्तर प्रदेशीय आदिवासी संघ के अध्यक्ष थें! आज जितने भी संगठन है मुम्बई मे है! शुरू मे मुम्बई मे इसी सगठन से जुडे रहे! भारत में सबसे पहले आदिवासी समाज की यही संस्था थी! बाद मे 1996 में इसे भारतीय आदिवासी संघ किया गया! यह संगठन गोड कहार की सभी जातियो का समूहिक सगठन था! आज भी गोड कहार धुरिया धीवर आदि सभी पक्ष की एकता और संघर्ष के लिये उत्तर प्रदेश आदिवासी संघ स्थापित 1967 की दिल्ली इकाई भारतीय आदिवासी कहार गोड धुरिया महापचायत के रूप मे संस्था कार्यरत् है!जिसके राष्ट्रीय महासचिव श्री सुरेश चंद गोंड है यह भारत की सबसे पुरानी और राष्ट्रीय स्तर की सबसे बडी संस्था है!जो सबसे पुरानी संस्था भारत की धुरिया कहार समाज रही है।इसमें सबसे तेज विद्वान और संघर्षशील नेता मांo राम हर्ष जी जो हमारे बीच नहीं है।स्वर्गीय श्याम बिहारी गोंड और मदनप्रसाद जी लखनऊ का कार्य नादान महल रोड स्थिति कार्यालय से देखते थे।

subhashchand4

Bysubhashchand4

Sep 20, 2025
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गोंड और कहार के इतिहास की जानकारी आदिवासी का संक्षिप्त इतिहास नामक पुस्तक जिसके लेखक स्व० बल्देव गोड है! से ली जा सकती है।
आप उत्तर प्रदेशीय आदिवासी संघ के अध्यक्ष थें! आज जितने भी संगठन है मुम्बई मे है! शुरू मे मुम्बई मे इसी सगठन से जुडे रहे! भारत में सबसे पहले आदिवासी समाज की यही संस्था थी! बाद मे 1996 में इसे भारतीय आदिवासी संघ किया गया! यह संगठन गोड कहार की सभी जातियो का समूहिक सगठन था! आज भी गोड कहार धुरिया धीवर आदि सभी पक्ष की एकता और संघर्ष के लिये उत्तर प्रदेश आदिवासी संघ स्थापित 1967 की दिल्ली इकाई भारतीय आदिवासी कहार गोड धुरिया महापचायत के रूप मे संस्था कार्यरत् है!जिसके राष्ट्रीय महासचिव श्री सुरेश चंद गोंड है यह भारत की सबसे पुरानी और राष्ट्रीय स्तर की सबसे बडी संस्था है!जो सबसे पुरानी संस्था भारत की धुरिया कहार समाज रही है।इसमें सबसे तेज विद्वान और संघर्षशील नेता मांo राम हर्ष जी जो हमारे बीच नहीं है।स्वर्गीय श्याम बिहारी गोंड और मदनप्रसाद जी लखनऊ का कार्य नादान महल रोड स्थिति कार्यालय से देखते थे।

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