Spread the love

“पापा! आज आप मेरी एक बात मानेंगे…?”
पापा: “गुटखा छोड़ने के अलावा जो भी कहेगी, सब मानूंगा।”

बेटी: “मैं आपसे गुटखा छोड़ने को नहीं कहूंगी।
बस इतना चाहती हूं कि आप सुबह से शाम तक जितना गुटखा खाते हैं, वह सब आकर मुझे बता दिया करें।”
पापा: “हाँ, मैं तुझे वचन देता हूँ कि बिलकुल सच्चाई से तुझे सब कुछ बता दूँगा।”

फिर बेटी ने दूसरी बात रखी: “अगर मैं कुछ और मांगू तो देंगे?”

पापा: “हाँ बेटा! ज़रूर दूँगा।
आज तेरा जन्मदिन है, जो मांगेगी, वो दूँगा।”

बेटी: “पर आप पलट तो नहीं जाएंगे ना…?”
पापा ने कहा: “तेरे सामने कभी नहीं पलटूंगा।”

बेटी ने मौका देखकर कहा:
“जितनी बार आप दिनभर गुटखा खाएं, उतने ही थप्पड़ आपको शाम को घर आकर मेरे गाल पर जोर से मारने होंगे।”

बेटी की बात सुनकर पिता स्तब्ध रह गए।
पिता के पैरों तले से ज़मीन खिसक गई।
पिता बोले: “अपने जान के टुकड़े को मैं थप्पड़ मारूं…?”

तब बेटी ने कहा:
“पापा! भगवान न करे, पर अगर गुटखा खाने से जो नुकसान होता है, वो आपको भी हो गया… और आप हमारे बीच नहीं रहे, तो दुनिया आपकी गैरमौजूदगी में हमें ऐसे तमाचे मारेगी जिन्हें मैं कभी सह नहीं पाऊंगी।”

“आपके थप्पड़ मैं सह सकती हूँ पापा, लेकिन दुनिया के ताने नहीं!”

बेटी की बात सुनकर पिता का दिल पिघल गया।
जो गुटखा कोई नहीं छुड़ा सका, वो गुटखा बेटी ने हमेशा के लिए छुड़वा दिया।

आशा करते हैं कि हर परिवार, समाज और देश को ऐसे बेटे-बेटियाँ मिलें, और साथ ही ऐसे पिता भी, जो अपने बच्चों की भावनाओं को समझ सकें।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼

One thought on “एक बेटी की अर्जी:”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×