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बीजेपी के संगठन में सत्ता का हस्तांतरण सहजता और सरलता से होता है। उत्तर प्रदेश से पहले तमाम राज्यों में भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष बनाए, क्या किसी राज्य में इतनी उठा पटक देखने को मिली जितनी उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रही है? किस राज्य में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष को तीन तीन बार सीएम से मिलना पड़ा और केंद्रीय नेतृत्व के फैसले से सहमत कराने के लिए लंबी मैराथन बैठक करनी पड़ी?

यूपी अध्यक्ष का चुनाव दिल्ली से और दिल्ली की पसंद से हुआ है।सीएम की सहमति को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है।बस यूपी सीएम का इतना मान रखा गया कि जिस नाम पर सीएम किसी हालत में सहमत नहीं होते,उन्हें नहीं बनाया।लेकिन चली हाई कमान की ही।
केंद्रीय नेतृत्व ने योगी को साफ़ संदेश दे दिया है कि जैसे 2017 में आपको सीएम बनाकर सीधे दिल्ली से लखनऊ भेजा गया था वैसे ही 2027 चुनाव के लिए प्रदेश अध्यक्ष सीधे दिल्ली से लखनऊ भेजा जा रहा है।सरकार आप अपनी मर्जी से चला रहे हैं तो संगठन हम अपनी मर्जी से चलाएँगे।सब आपकी मर्जी से नहीं होगा।

योगी को संदेश है कि आप मोदी नहीं हो की जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो संगठन में मोदी के मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता था।

बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने लंबी चुप्पी के बाद उत्तर प्रदेश को लेकर अपने पत्ते खोल दिए है।केंद्रीय नेतृत्व का यह तुरुप का पत्ता उत्तर प्रदेश में कितना कारगर साबित होगा यह तो समय बताएगा,लेकिन शह और मात का खेल शुरू हो चुका है।अपने अपने हथियारों को पैना किया जा रहा है।

बीजेपी में सत्ता का संघर्ष और वर्चस्व की जंग खुल कर सड़कों पर नहीं, बंद कमरे में रणनीति बनाकर लड़ी जाती है।चेहरे पर कई मुखौटे लगाकर लड़ाई लड़ी जाती है।एक बार गोविंदाचार्य ने अटल बिहारी बाजपेई को मुखौटा कहा था और उसके पीछे चेहरा किसी और को कहा था।

उत्तर प्रदेश में ही बीजेपी के दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई पर आरोप लगाया था कि लाल जी टंडन, कलराज मिश्र और राजनाथ को आगे कर अटल जी उनकी कुर्सी लेना चाहते हैं। कल्याण को जाना पड़ा था। गोविंदाचार्य को भी जाना पड़ा।

एक म्यान में एक ही तलवार रह सकती है।कौन रहेगा और कौन जाएगा यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।

रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने के बजाय शतरंज की बिसात बिछ रही है।घेर कर शिकार करने की रणनीति तैयार की जा रही है।

2027 उत्तर प्रदेश का चुनाव सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा। बीजेपी की राष्ट्रीय राजनीति और भविष्य की बीजेपी के लिए भी 2027 का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण होगा।

उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरहद आपस मे टकराती है।क्या उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बीच अब राजनीतिक टकराहट भी देखने को मिलेगी?

साभार

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