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जिलाधिकारी बागपत आईएएस अस्मिता लाल के आह्वान पर खाप पंचायतें बनी बेटी बचाओ समाज बचाओ अभियान की एंबेसडर

खाप पंचायत प्रतिनिधियों ने लिया संकल्प, संवाद विश्वास सम्मान के साथ बेटियों के आगे बढ़ने का मार्ग करेंगे प्रशस्त

पहली बार खाप पंचायतों के साथ बेटियों के अधिकारों को लेकर हुआ संवाद, प्रशासन की पहल को सभी ने सराहा

महिलाओं एवं बेटियों के हितों की रक्षा के लिए साथ आए प्रशासन और खाप, मिशन शक्ति अभियान को मिली नई दिशा

बागपत 14 अक्टूबर 2025 – कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पहचान रही खाप पंचायतें अब बेटी बचाओ, समाज बचाओ की संदेशवाहक बनने जा रही है। शासन द्वारा संचालित मिशन शक्ति अभियान पंचम चरण के अंतर्गत आज बागपत की बेटियों के लिए आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर समाज में नई चेतना को बढ़ावा देने के लिए प्रशासन ने खाप पंचायतों के साथ संवाद कर बेटी बचाओ समाज बचाओ मुहिम का ब्रांड एंबेसडर बनाए जाने की पहल की है। यह परिवर्तन संभव हुआ है जिलाधिकारी बागपत आईएएस अस्मिता लाल के नेतृत्व में।

आज जिलाधिकारी ने पट्टी चौधरान बड़ौत में चौरासी भवन में देशखाप चौधरी, प्रतिनिधियों एवं समाज के लोगों को एक विशेष संवाद में आमंत्रित कर उनके साथ एक ऐसी पहल की नींव रखी जिसने समाज की सोच बदलने की दिशा में इतिहास रच दिया और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और मिशन शक्ति अभियान को एक नई प्रेरणा दी। बागपत में पहली बार आयोजित इस विशेष संवाद में प्रशासन ने आह्वान किया कि बेटियों के लिए एक ऐसा बागपत बनाए जहां से देश को मजबूत बेटियां मिले जो देश का नाम रोशन करने के साथ साथ अपने गांव समाज एवं जनपद का भी गौरव बने।

इस संवाद में प्रशासन और खाप, दोनों ने ही भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा और घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक समस्याओं के प्रति सख्त संदेश दिया। बेटियों पर सामाजिक दबाव, वैवाहिक प्रताड़ना और रोजगार की बाधाओं पर भी चिंता व्यक्त करते हुए समाज में बेटियों के सम्मान, सुरक्षा और समान अवसरों की सकारात्मक संस्कृति को मजबूती से स्थापित करने पर जोर दिया। इसके अतिरिक्त बेटियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, आगे बढ़ने के अवसर सहित अन्य कई विषयों पर संवाद हुआ।

जिलाधिकारी ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि जब बेटियों को एक विश्वास और सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है तो उनके लिए आगे बढ़ने के अवसर खुलते है। उन्होंने कहा कि आज बागपत की जो बेटियां खेलों, उद्यम सहित अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ रही है, वह उनका जज्बा दिखाता है और यह जज्बा उनके खुद के प्रयासों के साथ साथ उनके परिवार और समाज के विश्वास और सम्मान का परिणाम है। जीवन में आगे बढ़ने वाली प्रत्येक बेटी यह दर्शाती है कि वह परिवार, गांव समाज बेटियों को आगे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। बेटियां हमारे समाज की शक्ति है।

उन्होंने कहा कि हम अक्सर दूर-दराज की सफल महिलाओं की उपलब्धियों एवं कार्य की प्रशंसा करते हैं लेकिन हम वह संभावनाएं अपने ही आसपास की बेटियों में देखने का प्रयास नहीं करते और अपनी बेटियों पर अपेक्षाओं और पारंपरिक तौर तरीकों को थोपने का प्रयास करते है जो उनका मनोबल कम करता है। हमें बेटियों से निरंतर संवाद कर पूछना चाहिए कि वह जीवन में क्या करना चाहती है। जब हम उनसे उनके सपनों और पसंदीदा चीजों की बात करेंगे तो विश्वास और संवाद को बढ़ावा मिलेगा।

हमारी बेटी हमसे कितना जुड़ाव रखती है, यह हमारी अभिभावक के रूप में सफलता का आकलन है। उनकी मुस्कान और सपनों को देखने की स्वतंत्रता ही हमारा रिपोर्ट कार्ड है कि हम कितने अच्छे माता, पिता, भाई अथवा अन्य सदस्य है। जिलाधिकारी के आह्वान पर इस विशेष सभा में सैकड़ों गाँवों से आए खाप प्रतिनिधि, प्रधान, महिलाएँ और युवा मौजूद रहे।

जिलाधिकारी ने कहा कि हम बेटियों के बिना समाज की कल्पना नहीं कर सकते। अगर हम अपनी ही बेटियों को जन्म से पहले मिटा देंगे, तो समाज का भविष्य कौन सँभालेगा? बदलाव हमारे संस्कारों से आएगा और संस्कार देने के लिए संवाद बेहद जरूरी है जिसकी पहल अभिभावकों को करनी चाहिए। क्यों न हम शुरुआत करे हमारी बेटियों से यह पूछकर कि वह क्या करना पसंद करती है और धीरे धीरे संवाद और विश्वास के साथ उनके आगे बढ़ने की राह प्रशस्त करे। साथ ही संवाद करे अपने बेटों से और परिवार के अन्य पुरुषों से भी और बेटियों के हित में सोचने एवं कार्य करने के लिए प्रेरित करे।

पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सम्मान, सशक्तिकरण सहित विभिन्न विषय है जिनको लेकर बेटियों के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। यह सभी चीजें हमारी बेटियां अपनी लड़ाई स्वयं लड़कर लेती है जोकि उनको सुलभ होना चाहिए। हमें अपनी बेटियों को इतना सशक्त करना चाहिए कि वह खूब बड़े सपने देख सके और उन सपनों के लिए खूब मेहनत करने का संबल दे। हमारी बेटियां में ही छिपी है ये सभी सफल महिलाएं जो आज अपने क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर रही है।

जिलाधिकारी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम बेटियों के जीवन के हर पहलू जैसे पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सम्मान और सशक्तिकरण आदि पर ठोस कदम उठाएँ। उन्होंने कहा कि यह सभी अधिकार हमारी बेटियों को भी उतने ही स्वाभाविक रूप से मिलने चाहिए जितने समाज के हर अन्य सदस्य को मिलते हैं। लेकिन अक्सर बेटियाँ इन अधिकारों के लिए संघर्ष करती हैं, जबकि उन्हें सुलभ होना चाहिए।

हमें बागपत की अपनी बेटियों को इतना सशक्त बनाना होगा कि वे खुले आसमान में अपने सपनों की उड़ान भर सकें। उन्हें वह संस्कार और संबल देना होगा, जिससे वे अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से अपने सपनों को साकार कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि हमारी हर बेटी में वह क्षमता छिपी है, जो एक दिन उसे देश की अग्रणी महिलाओं की श्रेणी में खड़ा कर सकती है।

और हमारे बागपत में भी कोई कम उदाहरण नहीं। जो बेटियाँ आज सपने बुन रही हैं, वही कल को रेणुका पंवार जैसी लोक गायिका, नैंसी त्यागी जैसी फैशन डिजाइनर, आस्था पूनिया जैसी फाइटर पायलट, चंचल बंजारा लोक गायिका, इन्फ्लूएंसर पारुल चौधरी बनेंगी.. बस उन्हें चाहिए हमारा विश्वास, अवसर और सम्मान। यह केवल बेटियों के लिए नहीं बल्कि सभी महिलाओं के लिए है। हमारे बागपत की ही शूटर दादी की जोड़ी ने पूरे देश को यह उदाहरण दिया कि उम्र केवल एक संख्या है।

जिलाधिकारी ने खाप पंचायतों से अपील की कि वे अब समाज में सुधार की अगुवाई करें। खापें समाज की रीढ़ हैं। अब पंचायतें दहेज विरोधी मुहिम, बेटी भ्रूण हत्या रोकथाम और ऑनर किलिंग जैसी घटनाओं के खिलाफ सामूहिक निर्णय लेंगी और कुप्रथाओं को त्याग कर बेटी बचाओ समाज बचाओ की संकल्पना को बढ़ावा देंगी। अब समय है कि खाप नारी सम्मान की दिशा तय करे। बेटी बचाओ समाज बचाओ अभियान में खाप पंचायतों को एंबेसडर घोषित कर शपथ दिलाई। सभा के दौरान कई प्रमुख खाप नेताओं ने मंच से जिलाधिकारी की पहल का समर्थन किया।

कार्यक्रम के अंत में जिलाधिकारी ने कहा कि यह पहल सिर्फ प्रशासन की नहीं, हम सबकी है। बागपत को एक ऐसा उदाहरण बनाएं जहां खाप पंचायतें बदलाव की प्रतीक बनें। जहाँ हर बेटी का जन्म एक उत्सव के रूप में मनाया जाए बेटी घर की कुलदीपक होती है।

एक वरिष्ठ खाप प्रतिनिधि ने कहा कि पहली बार प्रशासन ने हमसे संवाद किया है। यह बदलाव की सही शुरुआत है। हम खुश है कि जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने हमें इस नई पहल नए बदलाव का हिस्सा बनाया। ग्रामीणों के चेहरों पर एक अलग ही चमक थी। कई महिलाएँ कहती दिखीं कि पहली बार किसी अधिकारी ने हमारी बात दिल से समझी। युवाओं ने इसे नए युग की सुबह बताते हुए संकल्प लिया कि वे अपने गाँवों में बेटी बचाओ समाज बचाओ अभियान को आगे बढ़ाएँगे।

एक नजर में यह तथ्य भी जाने:

बागपत में बेटी बचाओ, समाज बचाओ की संकल्पना नीतिगत और प्रशासनिक स्तर पर भी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। 2011 में जनपद का लिंगानुपात 861 था, जो वर्तमान में बढ़कर 938 हो गया है, जो इस दिशा में किए जा रहे निरंतर प्रयासों का प्रमाण है। जिलेभर में पीसीपीएनडीटी एक्ट को पूर्ण रूप से लागू कराने हेतु विभिन्न अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर हाल ही में हुए 37 निरीक्षण और त्वरित कार्यवाही ने इस संकल्प को और भी सशक्त बनाया है। मातृ मृत्यु दर के संदर्भ में भी बागपत बेहतर स्थिति में है — जहां भारत का औसत 88, उत्तर प्रदेश का 141 है, वहीं बागपत में यह आंकड़ा 57 है, जो जिले में स्वास्थ्य सेवाओं और महिला सुरक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों का प्रत्यक्ष संकेत है। जनपद बागपत में पिछले सात वर्षों में घरेलू हिंसा से जुड़े 812 प्रकरण वन स्टॉप सेंटर पर दर्ज किए गए है जो बेटी बचाओ समाज बचाओ अभियान की प्रासंगिकता को रेखांकित करता है।
जिलाधिकारी ने खाप चौधरी को बेटियों के नाम कुलदीपक पौधा, घड़ी देकर उन्हें सम्मानित किया और उन्होने कहा कि आप लोग एक ऐसी समाज की मिसाल हैं जिससे बेटियों के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का एक समाज में अच्छा संदेश जाएगा और सभी इस संदेश को अपने जीवन में जरूर अनुपालन करेंगे , देश खाप चौधरी सुरेंद्र सिंह ने कहा बेटी घर का कुलदीपक है इनका सम्मान करें दहेज ना ले ना दें बेटियों को शिक्षित संस्कारवान बनाएं दो कुल को रोशन करती है बेटियां ।

इस अवसर अवसर पर देश खाप चौधरी सुरेंद्र सिंह, सभा अध्यक्ष चौधरी सुभाष शर्मा,दागी खाप चौधरी ओमपाल सिंह, पवार खाप धर्मवीर सिंह,थाम्बेदार चौधरी देवेंद्र सिंह ,चौधरी यशपाल सिंह, चौधरी बृजपाल सिंह ,चौधरी जयपाल सिंह ,ओमपाल सिंह, विनोद सहित एसडीएम भावना सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी अमरचंद वर्मा तहसीलदार श्वेताप सहित आदि उपस्थित रहे।

सूचना विभाग बागपत

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