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शादी है या समझौता copy paste

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18 से 22 साल की उम्र में जब शरीर का यौवन उफान मारता है
तो इस उम्र में सभी लड़कियों का मन होता है शादी करने का, अपने जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का क्योंकि शरीर के हार्मोन हमे संकेत देना शुरू कर देते हैं कि हमारा शरीर अब गृहस्थ जीवन के लिए तैयार हो चुका है।

मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, जैसा अक्सर कई लड़कियों के साथ होता है। हर नए लड़के में मैं अपना हमसफ़र तलाशती और कभी-कभी दिन में ही सुहागरात के सपने देखने लगती। लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं था कि मेरा चरित्र खराब था। हर लड़की एक उम्र के पड़ाव पर अपने शरीर और भावनाओं में बदलाव महसूस करती है जो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।

मैं करियर को लेकर बेहद जुनूनी थी। ऑफिस का काम और आगे बढ़ने की लगन इतनी थी कि माता पिता, दादा दादी, चाचा चाची, हीत-नाते इत्यादि सभी के द्वारा समझाने के बावजूद भी मैं शादी की बात हर बार टालती चली गई। सोच यही थी कि पहले खुद को अच्छी तरह स्थापित कर लूं, करियर बना लूं, आत्मनिर्भर हो जाऊं फिर घर-परिवार के बारे में सोचूंगी।

जब मेरी उम्र 23 साल थी, तो मेरी दादी शादी का दबाव डालने लगीं। कहती थीं, “कम से कम मरने से पहले तेरे पति को देख लूं।” (ऐसा प्रायः सभी समाजों और परिवारों में देखने- सूनने को मिलता है)

लेकिन मैं अपने सपनों एवं करियर बनाने में खोई हुई थी, Self dependent बनने कि भूत मेरे उपर सवार था- और शादी फिलहाल मेरी प्राथमिकता नहीं थी।

लेकिन कब 23 से 28- 30-32 की हो गई, पता ही नहीं चला। अब मां भी कहने लगीं, “बुढ़ापे में घर बसाओगी क्या?” मैं उनकी इस बात पर यह सोचकर चिढ़ जाती थी कि- “28 कोई उम्र है शादी की?”

दरअसल, सोशल मीडिया और बॉलीवुड का प्रभाव इतना था कि मुझे लगने लगा, शादी का फैसला सिर्फ तब लेना चाहिए जब व्यक्ति आत्मनिर्भर हो जाए, करियर सुरक्षित हो जाए और मन पूरी तरह तैयार हो जाए। बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियाँ कहती थीं कि “शादी से पहले खुद को जानो, पहले अपना केरियर बनाओ, खुद को समय दो”, और मैंने भी मान लिया कि एक सफल, सुरक्षित और सुखी जीवन के लिए यही रास्ता सही है।

लेकिन 31 की उम्र में जब माह के विशेष दिनों के दौरान असामान्य दर्द और ज्यादा ब्लीडिंग होने लगी, तो डॉक्टर ने साफ कहा -“अगर फैमिली की प्लानिंग है, तो अब देर मत कीजिए। शरीर की भी अपनी सीमाएं होती हैं।”

घर आकर इंटरनेट खंगाला तो देखा कि फिल्मी सितारे अंडाणु (एग) फ्रीज करवा लेते हैं – ताकि जब चाहें तब मां बन सकें। यह सुनकर राहत तो मिली, लेकिन जब हकीकत जाना तो समझ आया कि यह सुविधा हर किसी के लिए संभव नहीं होती। मुंबई के एक बड़े अस्पताल में डॉक्टर ने बताया कि अंडाणुओं की सबसे अच्छी गुणवत्ता 25 से 27 की उम्र के बीच होती है – मेरी उम्र 31 पार कर चुकी थी।

उपर से एग फ्रीजिंग का खर्च – हर महीने करीब 50,000 रुपये। अब समझ आया कि समय की अनदेखी ने जीवन का कितना बड़ा मोड़ बदल दिया है।

आखिरकार, 33 की उम्र में मेरी शादी एक 36 साल के व्यक्ति से हुई। पति बहुत अच्छे हैं, उनका साथ और सहयोग भी बहुत मजबूत है, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी हम माता-पिता नहीं बन पाए हैं। अब दादी की वो बात बार-बार याद आती है – शादी कर लो, वरना बहुत देर हो जाएगी।

जिस करियर को बनाने में इतने साल लगाए, अब उसी करियर की कमाई के पैसे इलाज और टेस्ट पर खर्च हो रहे हैं।

आज मैं हर उस युवा से कहना चाहती हूँ- कि करियर ज़रूरी है, लेकिन जीवन के हर पड़ाव का एक समय होता है। जैसे उम्र और हार्मोनल परिवर्तन से शरीर में घटित होनेवाली कुछ विशेष प्रकार की घटनाएं एक निश्चित उम्र में ही घटित होती हैं ठीक वैसे ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मातृत्व के लिए भी एक सही और सटीक उम्र होती है।

फिल्म उद्योग की हीरोइनों और सेलेब्रिटीज़ को देखकर अपने फैसले न लें। उनकी बनावटी और दिखावटी दुनिया हमारी वास्तविक दुनिया से बिल्कुल भिन्न है। वे अपनी चमक-दमक, वैकल्पिक व्यवस्था और पैसे के दम पर बहुत कुछ खरीद सकती हैं- पर हम नहीं!

इसलिए सोच-समझकर अपने शरीर, समय, करियर और भावी जीवन का सम्मान करते हुए एक संतुलित निर्णय लें ताकि आगे चलकर पछताना न पड़े- और जीवन का हर पल सच्चे अर्थों में जिया जा सके।

धन्यवाद!

मै इस आर्टिकल को लाइक और शेयर करने की बात नहीं करुंगा क्योंकि इस काल्पनिक आर्टीकल को लिखने का एकमात्र मेरा उद्देश्य विशुद्ध रूप से समाज की युवा पीढ़ी और आधुनिक माता पिता को केवल जागरूक करने मात्र से है।

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