जबकि गुस्से में शिवजी गणेश जी को पहचान ही नहीं पाए कि श्री गणेश उनके पुत्र हैँ और उन्होंने गुस्से में गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था!
अब जब पार्वती जी को पता चला कि उनके पुत्र का सिर धड़ से अलग कर दिया है,तो वो शिवजी पर आग बबूला हो गईं,रुदन करते हुए शिवजी से श्री गणेश को जिंदा करने की जिद्द कर दी!शिवजी क्या करते उन्होंने हाथी के बच्चे का सिर काटा और श्री गणेश जी के सिर पर रख दिया,जबकि श्री गणेश जी का खुद का मूल सिर लगाया जा सकता था,हाथी के बच्चे की बलि देने की क्या जरूरत थी!
हाथी का सिर हाथी के क्षेतिज(Horizontal)/लेटा हुआ लगा होता है,जबकि मानव के सिर ऊर्धव (Vertical)/खड़ा होता है,तो फिर शिवजी ने हाथी के (Horizontal) सिर को बाल गणेश के खड़े धड़ पर कैसे एडजस्ट किया होगा,सोच के सोचना
हालाँकि मेडिकल साइंस में ऐसी सर्जरी की कोई तकनीक अभी तक विश्व में नहीं है
जिज्ञासा 1
चलो जब श्री गणेश जी के धड़ पर सर्जरी के उपरान्त गर्दन जोडी जा सकती थी,तो अंगूठा जोड़ा जाना बहुत आसान काम था,वीर एकलव्य के कटे हुए अंगूठे को ही पुनः जोड़ा जाना था!क्यों नहीं जोड़ा गया
जिज्ञासा 2
अर्जुन के नाम पर भारत देश में पुरुष्कार वितरण होता है
गुरु द्रोणाचार्य के नाम पर भी पुरुष्कार दिया जाता है
किन्तु सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर वीर एकलव्य के नाम पर कोई पुरुष्कार नहीं दिया जाता
क्यों????
🙏 किसी की भावनाओं को चोट पहुंची हो तो:क्षमा याचना🙏
किन्तु विचार जरुर करना