बागपत ::- मीतली में मेडिकल कॉलेज निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने मत्स्य विभाग से 5.07 हेक्टेयर जमीन स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के नाम करने की एनओसी को मंजूरी दे दी। इस तरह बड़ौत व मीतली में कॉलेज निर्माण को लेकर चल रहा विवाद अब पूरी तरह से खत्म हो गया और मीतली में जल्द ही कॉलेज बनने की उम्मीद है। मीतली में मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा वर्ष 2020 में हुई थी। मीतली में जमीन देखी गई थी। वहां 5.60 हेक्टेयर जमीन है जो पहले राजस्व विभाग के पास थी और वह रिकाॅर्ड में बंजर दर्ज थी। उसे वर्ष 2001 में मत्स्य विभाग के नाम दर्ज कर दिया गया था। जहां मत्स्य विभाग ने अपना कार्यालय बनाया हुआ है और कुछ जमीन में तालाब की खोदाई कराकर छोड़ा हुआ है। जिसका आज तक कोई इस्तेमाल नहीं किया गया। उस जमीन पर मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए मत्स्य विभाग से एनओसी जरूरी थी जो शासन में अटकी थी। इस बीच ही जनवरी 2025 में जनता वैदिक कॉलेज बड़ौत की प्रबंध समिति ने मेडिकल कॉलेज निर्माण के लिए 96 बीघा भूमि दान देने का प्रस्ताव पास करके डीएम को सौंपा तो इसको लेकर विवाद शुरू हो गया। मेडिकल कॉलेज निर्माण को लेकर बागपत व बड़ौत क्षेत्र के लोगों व नेताओं में खींचतान होने लगी। इसको लेकर एक महीने तक महापंचायत व बैठकों का दौर चलने लगा। तभी से संशय बना हुआ था कि मेडिकल कॉलेज को लेकर शासन से क्या फैसला लिया जाएगा।
शुक्रवार को लखनऊ में कैबिनेट की बैठक में मेडिकल कॉलेज निर्माण को लेकर स्थिति साफ हो गई और विवाद पर पूरी तरह विराम भी लग गया। कैबिनेट ने मीतली में ही 5.07 हेक्टेयर जमीन को मेडिकल कॉलेज के लिए देने के प्रस्ताव को पास कर दिया। इसके साथ ही मत्स्य विभाग के कार्यालय व आबादी होने के कारण 0.53 हेक्टेयर जमीन को छोड़ा गया। इस जमीन को लेकर विवाद हो सकता था, इसलिए ही इसे छोड़ दिया गया है। जिससे कॉलेज निर्माण में किसी तरह की अड़चन नहीं हो।