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लखनऊ ::- प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए शासन द्वारा गठित कमेटी ने बृहस्पतिवार को पहली बैठक की। इसमें शासन ने शिक्षकों की ऑनलाइन अटेंडेंस लागू करने का फार्मूला बताया। हालांकि बैठक में उपस्थिति शिक्षकों ने कहा कि पहले उनकी उपार्जित अवकाश, प्रोन्नत वेतनमान, गृह जिले में तैनाती जैसी मांगे पूरी की जाएं, तभी वे इसमें सहयोग करेंगे। हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में पहली बैठक सचिवालय में हुई। इसमें माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति का मॉड्यूल प्रस्तुत किया। इसमें संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा विद्यालय शुरू होने के एक घंटे अंदर सभी शिक्षकों की उपस्थिति, अनुपस्थिति भेजने की बात कही गई। बताया गया कि यह मॉड्यूल माध्यमिक शिक्षा विभाग में काम कर रहा है। हालांकि बैठक में उपस्थित शिक्षक इससे सहमत नहीं हुए। उन्होंने एक संयुक्त रिलीज जारी कर कहा कि इसको लागू करने से पहले शिक्षकों को एक साल में 31 ईएल व आधे दिन की छुट्टी, शिक्षकों को उनके गृह जिले में तबादला, माध्यमिक की भांति बेसिक के सभी शिक्षकों को प्रोन्नत वेतनमान, गैर शैक्षणिक कार्यों से शत-प्रतिशत मुक्त रखा जाए। ग्रामीण क्षेत्र में आने-जाने के रास्ते, लो इंटरनेट की समस्या आदि को भी ध्यान में रखा जाए। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि शासन पहले शिक्षकों की वाजिफ मांगों पर ठोस कार्यवाही करे, फिर शिक्षक इसके बारे में निर्णय लेंगे। वहीं शिक्षक नेता सुशील कुमार पांडेय ने बैठक का बहिष्कार करते हुए पहले विद्यालयों में एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, एक कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति आदि मांगें पूरी करने की मांग की। बैठक में महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी, सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली आदि उपस्थित थे।

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