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  1. कोई आतंकवादी हमला चुनाव से कुछ महीने पहले (आतंकवादियों की टाइमिंग हमेशा आश्चर्यजनक होती है)
  2. हिंदू मुस्लिम दंगा कराने की कोशिश
  3. चुनाव आयोग द्वारा वोट चोरी के अलग अलग हथकण्डे
  4. NDA का कोई एक धड़ा पार्टी ऐन समय अलग हो जाएगी, हल्ला होगा NDA दो फाड़ हो गई, फिर वो दल विपक्ष का वोट बंटवायेगा , बाद में वापस NDA के साथ सुलह समझौता
  5. छोटे छोटे कई दल मैदान में उतारे जाएँगे जिससे वोट बंटे
  6. दलित वोट काटने के लिये बसपा और मुस्लिम वोट काटने के AIMIM
  7. ऐसे वोटर्स जिनका पता हो कि विपक्ष को वोट दे सकते हैं उन्हें वोटर सूची से बाहर निकालना
  8. Fake voters बनाना
  9. वोटर्स में पैसा बाँटा जाएगा
  10. ऐसे चुनावी वायदे जो जीतने के बाद कभी पूरे न हों मगर बेचारे वोटर्स की लार टपका दें
  11. ढेर सारा मोदी का विज्ञापन , आँसू और भड़काऊ भाषण
  12. मीडिया पर ऐसी बहसें जो हिंदू मुसलमान करती हों या टेम्पररी तौर पर अफवाह बाज़ी करके वोटर्स के मन मे ख़ासकर हिंदू वोटर्स के मन मे भय पैदा करें
  13. विपक्ष द्वारा किन्ही मुद्दों को उठाने से बेचैनी हो तो IT cell से काउंटर करना
  14. प्रत्याशियों के आवेदन निरस्त करवाना जैसा कि रंगीला के केस में हुआ
  15. . प्रशासन का उपयोग वोट काउंटिंग के समय, जैसे पत्रों से आए वोटों को ख़ारिज करना आदि
  16. बाक़ी संघ का काडर तो है ही

अगर फिर भी सरकार न बने तो सांसदों/ विधायकों की ख़रीद फ़रोख़्त, ब्लैकमेलिंग, ED / CBI का उपयोग आदि आदि

इसी सब के चलते हम लोकतंत्र की माता श्री बने हुए हैं .
फिर डंका बजता है कि मोदी जी 600 करोड़ लोगों की पसन्द हैं.

यूँ लगता है कि एक ही फ़िल्म बार बार देख रहे हैं, कथा पटकथा सब वही है बस बैकग्राउंड और चेहरे बदल जाते हैं.

वैसे कोई तरीका भूल गया हूँ तो याद दिलाइये
सुरेन्द्र पहलवान

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