बेटी है तो जीवन में रोशनी है बेटी है तो सम्मान है बेटी है तो घर और राष्ट्र में अनुशासन है
बेटियों के लिए शिक्षा, सुरक्षा, सम्मान और विश्वास का संदेश लेकर हर घर पहुंचेगा अभियान
जिलाधिकारी ने 35 परिवारों को कुलदीपक एवं पौधा और बालिकाओं को चॉकलेट देकर किया सम्मानित
बेटियों के सपनों को पंख, परिवारों को गौरव और समाज को नई दिशा देने की ऐतिहासिक पहल
बेटियों को कम न समझे परिवार, परिवार एवं समाज में समृद्धि लाती है बेटियां: जिलाधिकारी
बागपत, 03 अक्टूबर 2025 – मिशन शक्ति और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे राष्ट्रीय अभियानों को नई दिशा देते हुए बागपत प्रशासन ने आज एक अभिनव पहल की शुरुआत की। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित विशेष समारोह में “मेरी बेटी, मेरी कुलदीपक” नामक अभियान का शुभारंभ हुआ, जिसका उद्देश्य समाज में बेटियों के महत्व को नए दृष्टिकोण से स्थापित करना और उन परिवारों को सम्मानित करना है जो गर्व के साथ बेटियों का पालन-पोषण कर रहे हैं।
इस अवसर पर 35 जागरूक परिवारों को, जिनकी एकमात्र संतान बेटी है और जिन्होंने उसे जीवन में आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा, पोषण और अवसर उपलब्ध कराए हैं, प्रशासन द्वारा विशेष कुलदीपक, जीवन का प्रतीक पौधा और बालिकाओं को चॉकलेट देकर सम्मानित किया गया।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि “बेटियां केवल परिवार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि वह रोशनी हैं जो पूरे कुल, समाज और राष्ट्र को आलोकित करती हैं। जिस तरह पौधे को उचित देखभाल और पोषण मिलने पर वह छांव देने वाला वृक्ष बनता है, उसी प्रकार बेटियों को अवसर, शिक्षा और सम्मान मिलने पर वे जीवन के हर क्षेत्र में समाज का गौरव बढ़ाती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि समाज में अभी भी कई बार यह धारणा बन जाती है कि यदि परिवार में केवल बेटियां हैं और बेटा नहीं है तो यह किसी कमी की तरह है। यह सोच गलत है और इसी सोच को बदलने के लिए यह अभियान शुरू किया गया है। बेटियां विज्ञान, प्रशासन, खेल, कला और उद्योग सभी क्षेत्रों में ऊँचाइयां छू रही हैं। वे किसी भी दृष्टि से बेटों से कम नहीं, बल्कि कई बार उनसे आगे निकल जाती हैं।
“मेरी बेटी, मेरी कुलदीपक” अभियान केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सोच में बदलाव की शुरुआत है। यह पहल आने वाले वर्षों में न केवल बागपत बल्कि पूरे प्रदेश को बेटियों के सम्मान, सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार लगातार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ तथा मिशन शक्ति अभियानों के माध्यम से बेटियों के सशक्तिकरण और सुरक्षा के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन इन अभियानों की असली सफलता तभी संभव है जब समाज स्वयं इसमें सहभागी बने।
“मेरी बेटी, मेरी कुलदीपक” अभियान का उद्देश्य केवल कार्यक्रम आयोजित करना नहीं है, बल्कि यह संदेश प्रत्येक घर तक पहुँचाना है कि— बेटी किसी बोझ या जिम्मेदारी का नाम नहीं है, बेटी ही कुल की असली दीपक है, बेटी को शिक्षा, सुरक्षा और समान अवसर देना ही समाज की प्रगति का आधार है। यह पहल बागपत जिले से शुरू होकर पूरे प्रदेश और देश में प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
सम्मानित परिवारों की प्रेरक कहानियाँ
सम्मानित हुए 35 परिवारों ने अपनी जीवन यात्रा साझा की। कई परिवारों ने बताया कि समाज में अक्सर उन्हें केवल बेटियों के होने पर ताने सुनने पड़े, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बेटियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाई और आज वे बेटियां चिकित्सा, प्रशासन, खेल और अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियां प्राप्त कर रही हैं।
एक सम्मानित परिवार ने कहा कि “हमारे परिवार में बेटी होना किसी वरदान से कम नहीं है। वह हमारे घर की कुलदीपक है। हमें गर्व है कि हम समाज के लिए प्रेरणा बन रहे हैं।”
समाज में संदेश – रूढ़ियों पर प्रहार, नई सोच का निर्माण
यह अभियान उस रूढ़िवादी धारणा पर सीधा प्रहार करता है जिसमें केवल बेटों को कुलदीपक माना जाता है। जिलाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि “अब समाज को यह समझना होगा कि रोशनी जलाने वाला दीपक केवल बेटा ही नहीं होता, बेटी भी कुलदीपक है। बेटियां परिवार में सम्मान, अनुशासन और समृद्धि लाती हैं।”
इस पहल से उन परिवारों को भी प्रेरणा मिलेगी जो कभी बेटियों को बोझ समझते थे। यह संदेश जाएगा कि संतान का लिंग नहीं, बल्कि उसकी परवरिश और अवसर ही समाज को आगे ले जाते हैं।
आज की बेटियां हर क्षेत्र में न केवल भागीदारी कर रही हैं बल्कि नेतृत्व कर रही हैं। ओलंपिक खेलों में पदक जीतने से लेकर प्रशासनिक सेवाओं में उत्कृष्टता दिखाने तक, बेटियों ने साबित किया है कि यदि अवसर मिले तो वे किसी से पीछे नहीं हैं।
“मेरी बेटी, मेरी कुलदीपक” अभियान समाज को यह अहसास दिलाएगा कि— शिक्षा बेटियों का पहला अधिकार है। सुरक्षा उनकी गरिमा और आत्मविश्वास का आधार है। स्वास्थ्य और पोषण उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव है। सम्मान और विश्वास उन्हें ऊँचाई तक पहुँचाने की प्रेरणा है। प्रशासन का यह कदम केवल संदेश देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जिले में विभिन्न स्तरों पर गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी जिससे बेटियों के लिए सुरक्षित और प्रोत्साहनकारी माहौल बने।
इस अभियान से जुड़ा मुख्य उद्देश्य है—
- समाज में बेटियों को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण बनाना।
- उन परिवारों को विशेष पहचान और सम्मान देना जो बेटियों का गर्व से पालन-पोषण कर रहे हैं।
- शिक्षा और सुरक्षा से जुड़े सरकारी कार्यक्रमों को जमीनी स्तर पर लागू करना।
- नई पीढ़ी में यह संदेश पहुंचाना कि बेटियां ही असली परिवर्तन की वाहक हैं।
इससे मिशन शक्ति और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को जिले में नई ऊर्जा और स्वरूप मिलेगा।
कलेक्ट्रेट सभागार प्रेरणा और उत्साह से भरा रहा। उपस्थित अधिकारियों ने भी इस पहल की सराहना की और इसे समाज के लिए आवश्यक बताया। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी वित्त/राजस्व पंकज वर्मा, एसडीएम भावना सिंह, डिप्टी कलेक्टर मनीष यादव, ज्योति शर्मा, उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. यशवीर सिंह, अधिशासी अधिकारी रटौल वीरज त्रिपाठी सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।
सूचना विभाग, बागपत