विशाल कश्यप / एजेंसी, नई दिल्ली। देश की लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान करने वाले नारी शक्ति वंदन विधेयक पर संसद की मुहर लग गई। बुधवार को लोकसभा के बाद गुरुवार को यह राज्यसभा से भी पास हो गया। राज्यसभा में उपस्थित सभी 215 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, विरोध में कोई मत नहीं पड़ा। देश की नई संसद भवन में पास होने वाला यह पहला ऐतिहासिक विधेयक बन गया है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम पर मतदान से पहले प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में विधेयक पारित करने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। गृह मंत्री अमित शाह पूरी चर्चा के दौरान उच्च सदन में मौजूद रहे। इस महिला आरक्षण के लागू होने में लगने वाले समय पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह 2029 के पहले कभी भी लागू हो सकता है। सिर्फ जनगणना के आंकड़ों और परिसीमन का इंतजार करना पड़ेगा।
जब बुधवार को लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से 2024 के लोकसभा चुनावों के तत्काल बाद सीटों के परिसीमन और जनगणना की प्रक्रिया शुरू किए जाने के आश्वासन दिए जाने के बाद इसके 2029 के लोकसभा में लागू होने का अनुमान लगाया जा रहा था। कहा था कि महिलाओं के लिए सीटों को आरक्षित करने में पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए परिसीमन के आधार पर इसे तय किया जाना जरूरी है। तब तक इंतजार करना पड़ेगा।
राज्यसभा में भी महिला आरक्षण की कुछ सांसदों द्वारा की गई मांग को खारिज करते हुए सीतारमण ने साफ किया कि राज्यसभा सदस्यों के चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व और वरीयता मत के कारण इसे लागू नहीं किया जा सकता। सीतारमण ने यह भी साफ कर दिया कि 2002 में संविधान के अनुच्छेद-82 में संशोधन द्वारा 2026 तक लोकसभा सीटों के परिसीमन पर लगी रोक महिला आरक्षण के रास्ते में बाधा नहीं बनेगी। 2024-25 में जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने और 2026-27 तक इसके आंकड़े आने की उम्मीद है। इसके बाद गठित परिसीमन आयोग नई जनसंख्या के आधार पर सीटों के निर्धारण के साथ ही महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें भी तय होगी।
देश की वित्त मंत्री सीतारमण ने विधेयक लाने में देरी के आरोपों पर कहा कि सरकार लगातार महिलाओं के विकास के लिए कार्य कर रही है। विपक्ष की ओर से अधिकतर सदस्यों ने बार-बार ओबीसी महिलाओं को अलग से आरक्षण देने के प्राविधान की मांग की। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस तो ओबीसी के विरुद्ध रही है।