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सोचबदलोहालात_बदलो।।

देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतने की इच्छा के कारण लंबे समय तक अपना मनपसंद पिज्जा खाने की इच्छा को दबाए रखा।


देश की अपेक्षाओं पर खरा उतरने के बाद अंततः अब जाकर मीरा बाई चानू की पिज्जा खाने की इच्छा को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पूरा किया।
इतना ही नहीं जब मेडल जीतने के बाद उन्होनें पिज्जा खाने की इच्छा प्रकट की थी तब तुरंत ही डोमीनोज इंडिया ने उन्हें आजीवन फ्री पिज्जा भेजने का एलान भी कर दिया।

वास्तव में हमारे यह खिलाड़ी ओलंपिक मेडल जीतकर देश का सम्मान बढ़ाने के लिए वर्षों तक कितना परिश्रम और त्याग करते हैं परंतु हम सिर्फ ओलंपिक के दौरान ही चीयर फ़ॉर इंडिया जैसे अभियान चला कर सोच लेते हैं कि हमनें अपना कर्तव्य निभा लिया।
जी नहीं,यदि ओलंपिक पदक तालिका में भारत को भी सम्मानजनक स्थान मिलते हुए हम देखना चाहते हैं तो हमें हर समय अपने इन खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते रहना चाहिए,लेकिन इसके बजाय हम एक ऐसे फालतू खेल क्रिकेट को धर्म बनाए बैठे हुए हैं जो ओलंपिक में तो क्या एशियन गेम्स में भी खेलने के योग्य नहीं है।
क्रिकेट प्रेमियों को समझना चाहिए कि सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप में ही लोकप्रिय क्रिकेट के खेल को धर्म बनाकर आप वास्तविक खेलों और उनके खिलाड़ियों के साथ अधर्म ही करते हैं।
ओलंपिक में भारत के खराब प्रदर्शन का एक बड़ा कारण यही है कि हम सिर्फ कुछ खेलों में ही भाग लेते हैं जबकि खेलों के इस महाकुंभ में कई प्रकार के खेल खेले जाते हैं।
जबतक हम क्रिकेट जैसे सिर्फ 7 या 8 देशों में ही सिमटे फालतू खेल की बजाय अन्य सभी प्रकार के वैश्विक खेलों को अपने देश में और अपने दिलों में भी स्थान नहीं देंगे तबतक ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन नहीं सुधर सकता है।
सरकार ने खेलो इंडिया जैसी मुहिम चला कर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास किया है परंतु हमें भी अपनी सोच को बड़ा करते हुए सभी वैश्विक खेलों को देश में बढ़ावा देना चाहिए।

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