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एस. एम. कॉलेज, चंदौसी, जनपद-संभल प्रकरण

बहाली होने के बाद भी वेतन जारी न होने के कारण आयोग चयनित प्राचार्य, प्राध्यापकों तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के जीवन यापन का घोर संकट

एस. एम. कॉलेज चन्दौसी के प्रोफेसर ने वेतन भुगतान कराने, प्रवेश वर्जित संबंधित तुगलक की फरमान को निरस्त करने और सुरक्षा की उठाई मांग

  • विश्वविद्यालय ने 30 अप्रैल, 2025 को ही आयोग से भेजे गए प्राचार्य डॉ. दानवीर सिंह यादव, डॉ. प्रवीण कुमार एवं डॉ. गीता शर्मा को कर दिया था बहाल
  • वेतन भत्तों के भुगतान के संबंध में उच्च शिक्षा विभाग कई बार प्रबंधतंत्र को कर चुका है निर्देशित, शहर कोतवाल से लेकर राष्ट्रपति तक लगायी न्याय करने की गुहार

प्रबंधतंत्र की हठधर्मिता के सामने शासन-प्रशासन, उच्च शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालय के सभी आदेश बेअसर

विस्तार
चन्दौसी। एस.एम. कॉलेज के वाणिज्य विभाग के आयोग चयनित प्रोफेसर डॉ. प्रवीण कुमार ने कॉलेज माननीय सचिव को पत्र भेजकर कर्तव्यों के महाविद्यालय में कर्तव्यों के निर्वहन की अनुमति, कॉलेज में प्रवेश वर्जित संबंधी प्रतिबंध हटाने, सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने और अप्रैल, 2025 से रोके गए वेतन भत्तों का तत्काल भुगतान करने की मांग की है।

डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि उनके खिलाफ दर्ज शिकायतों के आधार पर की गई कार्रवाई की मूल वजह रही श्रीमती मीनाक्षी सागर की रिट याचिका संख्या 8466 (रिट-A) को उच्च न्यायालय प्रयागराज ने 21 अगस्त, 2025 को ही खारिज कर दिया है। इसके अलावा, उच्च शिक्षा विभाग, गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय मुरादाबाद और पुलिस विभाग की कई जांचों में उन्हें दोषमुक्त घोषित किया जा चुका है।

डॉ. प्रवीण कुमार द्वारा यह मांग माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद द्वारा निरस्त किए गए श्रीमती मीनाक्षी सागर के वाद के दृष्टिगत तथा महाविद्यालय पर प्रशासनिक क्षेत्राधिकार रखने वाले गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद द्वारा दिनांक 17.04.2025 एवं 30.04.2025 को निर्गत बहाली एवं अन्य आदेशों, उच्च शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा निर्गत आदेश दिनांक 30.10.2025, उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के प्रावधानों तथा उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा 10 सितंबर, 2024 को निर्गत आदेश आदि अन्य सुसंगत आदेशों प्रावधानों का पालन करते हुए प्रार्थी को महाविद्यालय में कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए अनुमति प्रदान करने की मांग की गई है।

बताते चलें कि विश्वविद्यालय ने 30 अप्रैल, 2025 को बर्खास्त किए गए प्राचार्य एवं दोनों प्राध्यापकों को बहाल कर कॉलेज में अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का आदेश भी दिया था। प्रो. कुमार का आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन ने अवैध रूप से उन्हें निलंबित करने तथा कॉलेज में प्रवेश रोकने की कार्रवाई की, जिसके चलते वे आयोग-चयनित प्राचार्य के कैंप कार्यालय से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षक उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर की व्यवस्था सुनिश्चित करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि विभागीय आदेशों के बावजूद वेतन/भत्तों का भुगतान न होने से वे गंभीर आर्थिक संकट में हैं।

प्रोफेसर ने सचिव पर यह भी आरोप लगाया है कि साजिश एवं षड्यंत्र के तहत श्रीमती मीनाक्षी सागर द्वारा समय-समय पर कराई गई विभिन्न शिकायतों को आधार बनाकर आपके द्वारा विधि विरुद्ध अपने भाई श्री संजय कुमार को जांच अधिकारी बनाकर एवं अन्य रिश्तेदार तथा विधि व्यवसायी को शामिल कर प्रार्थी को निलंबित/बर्खास्त/निलंबित संबंधी कार्रवाई की गई थी।

अपनी बात को तर्क संगत एवं ठोस दस्तावेजी सबूतों के साथ रखते हुए बताया कि मेरे ऊपर लगाये गए सभी आरोपों के सम्बन्ध में उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कराई गई जांच में भी दिनांक 20.02.2025 को ही पूर्ण रुप से दोषमुक्त करते हुए क्लीन चिट दी जा चुकी है। पुलिस विभाग द्वारा भी दिनांक 15.03.2025, 20.03.2025, 23.03.2025, 08.05.2025, 18.06.2025, 12.11.2025 को दी गई जांच आख्या में पूर्व में ही पूर्ण रुप से दोषमुक्त करते हुए क्लीन चिट दी जा चुकी है। महाविद्यालय पर प्रशासनिक क्षेत्राधिकार रखने वाले गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद द्वारा भी अपनी जांच के अंतर्गत प्रार्थी को दिनांक 30 अप्रैल, 2025 को ही बहाल करते हुए महाविद्यालय में कर्तव्यों का निर्वहन करने सम्बन्धी आदेश दिया गया है।

अपने दर्द भरी दस्तान व्यक्त करते हुए डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि पूर्व में भी महाविद्यालय परिसर एवं महाविद्यालय के बाहर भी मेरे ऊपर विभिन्न प्रकार के जानलेवा हमले, गाली गलौच, हाथापाई, मारपीट आदि की गई। पुलिस में झूठी रिपोर्ट बनाकर भेजी गई। पूर्व में भी नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी दी गई। इतना ही नहीं, फर्जी मुकदमे भी मेरे ऊपर दर्ज करवाए गए। इन सब के दृष्टिगत फिर से अनहोनी की आशंका के चलते हैं डॉक्टर प्रवीण द्वारा महाविद्यालय में अपनी सुरक्षा हेतु सुरक्षित एवं निर्बाध प्रवेश हेतु समुचित एवं ठोस कदम उठाने एवं उपाय करने की मांग कॉलेज सचिव से की गई है।

उन्होंने बताया कि महाविद्यालय के सक्षम प्राधिकारियों द्वारा विधि विरुद्ध जाकर एवं विभिन्न शासनादेशों तथा विभागीय आदेशों की अवहेलना करते हुए मुझे नियमानुसार देय वेतन/भत्तों आदि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि उच्च शिक्षा विभाग के सक्षम प्राधिकारी द्वारा पीड़ित को देय वेतन/भत्तों के संबंध में दिनांक 06.08.2025, 14.08.2025, 19.08.2025 तथा 15.11.2025 आदि तिथियां में आदेश जारी किए जा चुके हैं किंतु कॉलेज प्रबंधन इन आदेशों का अनुपालन नहीं कर रहा है। शासन उच्च शिक्षा विभाग विश्वविद्यालय आदि से जो भी विधि सम्मत आदेश आता है प्रबंधक उसके खिलाफ माननीय न्यायालय में वाद दायर कर देता है। का अनुपालन करते हुए प्रार्थी को नियमानुसार देय वेतन/भत्तों का भुगतान करने/कराने की कृपा करें।

डॉ. कुमार ने चेतावनी दी कि विश्वविद्यालय के आदेशों का पालन न होने की स्थिति में प्रार्थी को होने वाली किसी भी शारीरिक मानसिक, आर्थिक आदि क्षति के लिए कॉलेज प्रबंधन जिम्मेदार होगा। प्रार्थना-पत्र की प्रतिलिपि उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित कई उच्च अधिकारियों को भी भेजी है।

एस. एम. कॉलेज, चंदौसी, जनपद-संभल प्रकरण अब शासन प्रशासन उच्च शिक्षा विभाग सभी के लिए एक अबूझ पहली बन चुका है। वर्तमान हालातो को देखते हुए लगता है कि शासन-प्रशासन, उच्च शिक्षा विभाग, विश्वविद्यालय अपना इकबाल को चुके हैं। महाविद्यालय प्रबंधन तंत्र की हठधर्मिता के चलते जहां पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है, वहीं दूसरी ओर, विद्यार्थियों अभिभावकों महाविद्यालय के स्टाफ एवं अन्य हितधारकों का लगातार अहित भी हो रहा है। कॉलेज में शिक्षण कार्य पर बेहद ही विपरीत असर हुआ है। संस्था में वैसे तो पहले से ही शिक्षकों का अभाव है, और जो शिक्षक बच्चे भी है वह भी अब कॉलेज के इस महाभारत में किसी ने किसी कारण से पार्टी बन चुके हैं। स्मरण रहे की पुलिस विभाग द्वारा भी इस संबंध में चालानी कार्रवाई किए जाने की चर्चाएं हैं। वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की संवेदनहीनता के चलते इतने पुराने और प्रतिष्ठित महाविद्यालय की समस्या का समाधान ना होना भी जनप्रतिनिधियों और सरकार के समक्ष चुनौती पैदा करते हैं। कुछ सवालों का जवाब भविष्य के गर्भ में ही छिपा होता है, समाधान के लिए इंतजार सभी को है।

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