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मानसिक स्वास्थ्य पर बदले नजरिया, विक्षिप्त नहीं, समझने योग्य हैं ये बच्चे: जिलाधिकारी

भ्रांतियाँ तोड़ें, समझ बढ़ाएँ… मानसिक रोग कोई अभिशाप नहीं बल्कि उपचार योग्य स्थिति है

अब नहीं रहेंगे मन के रोग अनकहे, जिलाधिकारी की पहल पर हर महीने विशेष जांच शिविर की तैयारी

टेली-मानस हेल्पलाइन 14416 से मिलेगी हर जरूरतमंद को तत्काल मदद

बागपत, 16 अक्टूबर 2025 — मानसिक स्वास्थ्य पर समाज की चुप्पी अब टूट रही है। बागपत में आज यह बदलाव दिखा जब जिला अस्पताल परिसर में आयोजित कैम्प के एक कोने पर जिलेभर से आए बच्चों की जांच हुई और दूसरे कोने पर प्रमाण पत्र वितरित हुए।

आज स्वास्थ्य विभाग बागपत द्वारा जिला संयुक्त चिकित्सालय परिसर में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी अस्मिता लाल की पहल पर जनपद में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य जांच का कैम्प आयोजित हुआ जिसमें ग्रेटर नोएडा की गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी और गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की 22 विशेषज्ञों की टीम ने जिलेभर से आए बच्चों की जांच की। यह पहल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर से 10 नवंबर तक) जागरूकता अभियान का हिस्सा है।

इस पहल को “बागपत मॉडल ऑफ़ इंटीग्रेटेड मेंटल हेल्थ सपोर्ट” के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसके तहत प्रशासन, चिकित्सा संस्थान, विश्वविद्यालय और समाज—तीनों मिलकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक साझा तंत्र बना रहे हैं। उद्देश्य यह है कि किसी भी बच्चे या परिवार को अब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं के लिए अपने ज़िले से बाहर न जाना पड़े।

अब तक मानसिक विकलांगता के प्रमाण पत्रों के लिए बागपत से रेफर होकर परिवारों को मेरठ या दिल्ली जाना पड़ता था, जहाँ न केवल खर्च बढ़ता था बल्कि असुविधा भी होती थी। आज बागपत में पहली बार यह हुआ कि जांच भी यहीं, प्रमाणपत्र भी यहीं। आठ स्टॉलों में मौजूद विशेषज्ञ टीमों ने बच्चों का परीक्षण किया। कोई बौद्धिक क्षमताओं की जांच कर रहा था तो कोई भावनात्मक स्थिति का मूल्यांकन।

जिलाधिकारी अस्मिता लाल स्वयं बच्चों के बीच बैठीं, उनसे सहजता से बातें कीं और उनकी आँखों में झाँककर उनके आत्मविश्वास को महसूस किया। उन्होंने प्रत्येक बच्चे को यह एहसास दिलाया कि वे अकेले नहीं हैं, प्रशासन उनके साथ है, उनके सपनों के साथ है। बच्चों के परिजनों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि “हर बच्चा अपने आप में एक अनोखी दुनिया है। किसी में शब्दों की ताकत है, किसी में रंगों की, किसी में संवेदना की।” उन्होंने माता-पिता को भरोसा दिलाया कि बागपत प्रशासन का उद्देश्य केवल प्रमाण पत्र देना नहीं, बल्कि इन बच्चों के लिए एक सहयोगी और सम्मानजनक माहौल बनाना है, जहाँ वे आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।

इस संवाद के दौरान माहौल भावनाओं से भर गया। कई अभिभावकों ने पहली बार किसी अधिकारी के सामने अपने दिल की बात कही — किसी ने अपने बच्चे की प्रगति की कहानी साझा की, तो किसी ने अपने संघर्ष का दर्द बताया। जिलाधिकारी ने सबकी बातें धैर्य से सुनीं और हर परिवार को यह आश्वासन दिया कि प्रशासन विशेष सहायता की आवश्यकता वाले सभी बच्चों के साथ है।

इस शिविर की विशेषता रही कि यहाँ केवल जांच नहीं हुई, बल्कि बच्चों की आंतरिक क्षमताओं को समझने के लिए तीन प्रमुख वैज्ञानिक परीक्षण किए गए जिसमें 01. समाधान आधारित परामर्श ऐसा परीक्षण है जिसमें रोग के बजाय समाधान पर ध्यान दिया जाता है। इस परीक्षण में बच्चे से उसकी कमी या परेशानी नहीं, बल्कि उसकी ताकत और संभावनाओं पर बात की जाती है। यह बच्चों में आत्मविश्वास और आत्म-समझ को बढ़ाता है। 02. बुद्धिमत्ता परीक्षण (मालिन स्केल) भारतीय बच्चों के लिए विकसित एक बौद्धिक परीक्षण है। यह बच्चे की बुद्धि, स्मृति, भाषा और सोचने की गति को मापता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बच्चा किन क्षेत्रों में सक्षम है और कहाँ उसे सहायक शिक्षा या उपचार की आवश्यकता है। यह परीक्षण विशेष रूप से ऑटिज़्म, ADHD या लर्निंग डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों की पहचान में अत्यंत उपयोगी है। 03. विनलैंड सामाजिक परिपक्वता परीक्षण दिखाता है कि बच्चा अपने दैनिक कार्य, सामाजिक व्यवहार और आत्मनिर्भरता के स्तर पर कहाँ खड़ा है। कई बार बच्चे बोलते कम हैं लेकिन समझते बहुत हैं — VSMS ऐसे ही बच्चों की अदृश्य क्षमताओं को उजागर करता है।

इस पहल ने ऑटिज़्म, एडीएचडी और मानसिक रोगों पर नई दृष्टि दी। विशेषज्ञों ने कहा कि ऑटिज़्म, एडीएचडी, डिप्रेशन, एंग्ज़ायटी डिसऑर्डर जैसे रोग कोई कमी नहीं बल्कि विविधता का रूप हैं। इन बच्चों को केवल थोड़ा अधिक स्नेह, समझ और सहयोग चाहिए। अब तक ऐसे परिवारों को समाज में उपेक्षा का सामना करना पड़ता था, लेकिन इस शिविर ने यह संदेश दिया कि हर बच्चा विशेष है, बस उसकी समझ का तरीका अलग है।

जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने बच्चों के परिजनों से कहा कि मानसिक रोग किसी भी परिवार में हो सकता है। इसे छुपाने की नहीं, समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह न दैवीय प्रकोप है, न जादू-टोना बल्कि यह एक चिकित्सकीय स्थिति है। समाज को संवेदना से जवाब देना होगा, दूरी से नहीं।

कार्यक्रम के दौरान नुक्कड़ नाटक के माध्यम से भी लोगों यह संदेश दिया गया कि मानसिक रोगों को अंधविश्वास और झाड़-फूंक से नहीं, बल्कि जागरूकता और इलाज से हराया जा सकता है। इस नाटक ने बच्चों और अभिभावकों, दोनों को जागरूककिया।

जानें कब लें डॉक्टर की मदद
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को यह समझाया कि यदि किसी व्यक्ति में यह संकेत दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए: बार-बार उदासी या चिंता महसूस होना, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, अचानक व्यवहार में बदलाव, ऐसी चीज़ें देखना या सुनना जो वास्तविक न हों, आत्महत्या के विचार आना, सामाजिक मेलजोल से दूरी बनाना। ऐसे में टेली-मानस हेल्पलाइन 14416 (24×7) पर कॉल किया जा सकता है। यह सेवा पूरी तरह गोपनीय, सरल और निःशुल्क है।

हर महीने लगेगा विशेष शिविर
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अब इस पहल को स्थायी रूप देने जा रहे हैं। योजना है कि हर महीने बागपत में एक विशेष मानसिक स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया जाए, ताकि किसी परिवार को प्रमाणपत्र या विशेषज्ञ सलाह के लिए दूर न जाना पड़े। इस शिविर ने बागपत में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक नई सोच जगाई है। अब लोग “विक्षिप्त” नहीं कहेंगे, बल्कि “समझने योग्य” कहेंगे। यह बदलाव केवल शब्दों का नहीं, दृष्टिकोण का है जो दर्शाता है करुणा, सहानुभूति और स्वीकार्यता की ओर बढ़ता हुआ बागपत।

इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर तीरथ लाल, डिप्टी सीएमओ डॉक्टर ,डॉक्टर यशवीर

सूचना विभाग बागपत

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