जनपद के सभी पशु चिकित्सालयों पर रेबीज की रोकथाम के लिए चलेगा जानवरों का टीकाकरण कैंप
रेबीज उन्मूलन के लिए विशेष अभियान 18 अगस्त से होगा शुरू, कुत्ते, श्वान आदि का होगा एंटी रेबीज टीकाकरण
जनपद में रेबीज रोकथाम के लिए बड़ा कदम, बेजुबान जानवरों को मिलेगा एंटी रेबीज का जीवनरक्षक टीका
लक्षण पहचानने में देर न करें, तुरंत टीका लगवाएं — रेबीज से बच सकती है आपके पालतू पशु की जान
बागपत, 17 अगस्त 2025 — जीव-जंतुओं के प्रति करुणा, पर्यावरणीय संतुलन की रक्षा और स्वस्थ समाज निर्माण की भावना को साकार करने हेतु, जिलाधिकारी अस्मिता लाल के निर्देशन में जिला प्रशासन द्वारा रेबीज की रोकथाम के लिए 18 अगस्त को पशु चिकित्सालय बागपत से पालतू पशुओं के लिए एक सघन और व्यापक टीकाकरण अभियान शुरू किया जाएगा जिसके अंतर्गत जिलेभर में पशु चिकित्सालयों पर विशेष टीकाकरण कैंप लगाए जाएंगे।
यह पहल न केवल जनस्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(ए)(जी) के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक के मूल कर्तव्य — “प्राकृतिक पर्यावरण, जिसमें वन्य जीव शामिल हैं, का संरक्षण और सुधार करना तथा जीव-जंतुओं के प्रति करुणा रखना” की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति भी है।
अभियान के अंतर्गत जनपद के 33 पशु चिकित्सालयों में पालतू पशुओं जैसे कुत्ता, श्वान पालतू बिल्ली आदि का एंटी-रेबीज टीकाकरण किया जाएगा। वर्तमान में इन चिकित्सालयों में 1100 डोज उपलब्ध हैं, जिससे अधिक से अधिक पालतू पशुओं को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है। वैक्सीनेशन नोडल अधिकारी डॉ. राजकुमार रावत को नियुक्त किया गया है। कुत्ते एवं श्वान के टीकाकरण से संबंधित किसी भी जानकारी हेतु 9458240723 पर संपर्क किया जा सकता है।
रेबीज एक घातक वायरल बीमारी है, जो न केवल मनुष्यों बल्कि जानवरों के लिए भी लगभग 100% घातक होती है। यह वायरस जानवरों और मनुष्यों, दोनों के तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और मस्तिष्क में सूजन पैदा करता है। एक बार लक्षण प्रकट हो जाने के बाद इसका कोई इलाज संभव नहीं है, और पीड़ित की मृत्यु निश्चित होती है। यही कारण है कि समय पर और नियमित टीकाकरण ही इसका सबसे प्रभावी बचाव है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 99% से अधिक रेबीज संक्रमण के मामले कुत्तों के काटने से होते हैं। संक्रमित लार के माध्यम से यह वायरस काटने, खरोंचने या खुले घाव, आंख, नाक या मुंह की श्लेष्म झिल्ली पर लगने से फैलता है। यह संक्रमण सभी स्तनधारी जीवों में हो सकता है। इस अभियान के माध्यम से उन बेजुबान जानवरों के जीवन की रक्षा की जाएगी, जो रेबीज वायरस के कारण असमय मृत्यु का शिकार हो जाते हैं।
जानवरों में इसके लक्षणों में अचानक व्यवहार में बदलाव, अत्यधिक आक्रामकता या असामान्य शांति, भूख न लगना, पानी पीने में डर (हाइड्रोफोबिया), अत्यधिक लार टपकना, चलने में कठिनाई, दौरे पड़ना और लकवा शामिल हैं। लक्षण प्रकट होने के बाद अधिकांश जानवर 7 से 10 दिनों के भीतर मर जाते हैं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अरविंद त्रिपाठी ने बताया कि “लक्षण आने के बाद इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज संभव नहीं है, इसलिए समय पर रोकथाम ही एकमात्र प्रभावी उपाय है।” पालतू जानवरों में 3 माह की उम्र के बाद पहला टीका और उसके बाद हर साल बूस्टर डोज लगवाना आवश्यक है।
यह अभियान केवल रोग-निवारण नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और सामाजिक उत्तरदायित्व का संदेश भी देता है। संविधान हमें यह स्मरण कराता है कि जीव-जंतु हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं। उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा में योगदान देना हमारा नैतिक, सामाजिक और संवैधानिक कर्तव्य है। जब हम अपने पालतू जानवरों को टीका लगवाते हैं, तो हम न केवल उन्हें एक घातक बीमारी से बचाते हैं, बल्कि मानव समाज को भी संभावित संक्रमण से सुरक्षित करते हैं।
जिलाधिकारी ने कहा कि “हमारे समाज की सभ्यता का स्तर इस बात से मापा जा सकता है कि हम अपने से कमजोर और निर्भर प्राणियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। यह अभियान बागपत को न केवल रेबीज-मुक्त बनाएगा, बल्कि एक मानवीय और जिम्मेदार समुदाय के रूप में पहचान भी देगा।”
जिला प्रशासन ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे अपने पालतू जानवरों का समय पर टीकाकरण कराएं और इस अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाएं। यह पहल बागपत के लिए एक सकारात्मक उदाहरण है कि कैसे हम सार्वजनिक स्वास्थ्य, पशु कल्याण और संवैधानिक मूल्यों को एक साथ जोड़ सकते हैं।
सूचना विभाग, बागपत