थोड़ा ठहरना, थोड़ा मुस्कुराना, थोड़ा आत्म-संवाद: जिलाधिकारी एवं विशेषज्ञों ने दिए मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के टिप्स
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर चिंता, तनाव, नकारात्मक विचार आदि विषयों पर विशेषज्ञों ने दी टिप्स
बाहरी दबाव से लक्ष्य से न भटके युवा, स्वयं पर विश्वास करे और लक्ष्य पर केंद्रित होकर आगे बढ़े
एक बड़ी मुस्कान के साथ करे दिन की शुरुआत, सकारात्मक विचारों का बैंक बनाए, खुश रहे और स्वयं से प्रेम करे
फोन पर मानसिक स्वास्थ्य परामर्श के लिए टेली मानस हेल्पलाइन नंबर 14416 या 1800 891 4416 पर करे कॉल
बागपत 10 अक्टूबर 2025 — कभी-कभी हम दुनिया बदलने की दौड़ में अपने भीतर के संसार को भूल जाते हैं। मन की शांति ही सबसे बड़ा लक्ष्य है, क्योंकि जब मन शांत होता है तभी जीवन सुंदर दिखता है। इसी संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बागपत प्रशासन ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एक विशेष ऑनलाइन जागरूकता संगोष्ठी आयोजित कर जनपद के सभी वर्गों के लोगों से संवाद किया।
संवाद में जिलाधिकारी अस्मिता लाल, मनोवैज्ञानिक श्वेता सिंह, मनोचिकित्सक डॉ अजय कुमार, उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ यशवीर सिंह एवं रॉबिन चौधरी आदि ने लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के प्रति प्रेरित किया और नागरिकों से संवाद कर उनके प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं को शांत किया।
ऑनलाइन संवाद के आयोजन की यह पहल प्रशासन की एक सार्थक कोशिश साबित हुई जिसने संदेश दिया कि लोग मानसिक तनाव, चिंता, अवसाद या जीवन की चुनौतियों को कमजोरी न समझें, बल्कि उन्हें समझदारी से संभालने का साहस सीखें। चर्चा के दौरान लगातार उदासी, निराशा या घबराहट महसूस होना, नींद में कठिनाई या बार-बार थकान रहना, नकारात्मक विचारों का बढ़ना, पढ़ाई या काम में ध्यान न लगना, और नशे की प्रवृत्ति या आत्म-हानि के विचारों से कैसे बचें आदि विषयों पर विशेषज्ञों ने जागरूक किया।
जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करना ही पहला कदम है जिससे खुशहाल समाज का निर्माण होगा। जब हमारा मन स्वस्थ और सशक्त होगा, तभी हमारा समाज भी सशक्त और संतुलित बन पाएगा। यह पहल केवल जानकारी देने के लिए नहीं, बल्कि हर नागरिक को अपने भीतर की शक्ति और धैर्य पहचानने, मानसिक रूप से मजबूत बनने और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से है।
जिलाधिकारी ने कहा कि खुद को कमजोर न समझे। माइंडफुलेनेस का अभ्यास करे। योग एवं ध्यान का अभ्यास करे। स्वयं से प्रेम करे और आप जो है उसे स्वीकार करे तभी आप आगे बढ़ सकेंगे। जो चीजे धीरे धीरे आकार लेती है वहीं खूबसूरत होती है इसलिए प्रतिस्पर्धा छोड़े और अपने लक्ष्य पर ध्यान दे न कि गति पर। इस दौरान क्रोध, नकारात्मक विचार, आदि विषयों पर प्रतिभागियों ने सवाल जवाब किए। स्वयं के साथ समय व्यतीत करें। अपने साथ वही व्यवहार करें जो आप अपने पसंद के अन्य लोगों के साथ करते हैं। खुद से प्रेम करें। जैसे हम पौधों को रोज़ पानी देते हैं, वैसे ही मन को भी दया और धैर्य की ज़रूरत होती है। अपने प्रति कोमल रहें, अपने हर अनुभव को शिक्षक की तरह स्वीकारें।
राज्य युवा पुरस्कार विजेता अमन कुमार ने कहा कि युवा बाहरी दबाव और परिवार की अपेक्षाओं के बीच अक्सर तनाव, चिंता, नकारात्मक विचारों से ग्रस्त हो जाते है जो उनके परीक्षा एवं रोजगार आदि की तैयारियों को प्रभावित करता है और परिवार एवं समाज की सभी अपेक्षाओं का भार युवा उठाते है तो इस बीच संतुलन कैसे बनाए। इसके क्रम में जिलाधिकारी अस्मिता लाल एवं अन्य विशेषज्ञों ने विस्तार से इस विषय पर मार्गदर्शन कर कहा कि वर्तमान क्षण में जीना बेहद आवश्यक है। परिवार अपने बच्चों को जब विश्वास और सम्मान देंगे है तो वह सभी क्षेत्रों में अद्भुत कार्य करेंगे। अच्छी बातों का प्रभाव कम समय तक रहता है जबकि बुरी बातें मन में अधिक समय तक रहती है। इसलिए अच्छी बाते, सकारात्मक विचार आदि अपने बच्चों एवं अन्य परिवारजनों को ज्यादा दे और बुरी बातों, नकारात्मक विचारों आदि से बचे।
विशेषज्ञों ने माता-पिता से कहा कि बच्चे सीखते हैं कि तनाव में कैसे प्रतिक्रिया देनी है, यह देखकर कि आप कैसे करते हैं। बच्चों को सुनें, तुरंत सलाह न दें। गुस्से के समय संवाद को रोकें और बाद में समझाएं। स्क्रीन टाइम कम करें, पारिवारिक समय बढ़ाएं। उनकी छोटी उपलब्धियों की सराहना करें—यह आत्मविश्वास बढ़ाता है। “शाबाश” कहने से ज्यादा प्रभावी है कहना “मुझे तुम पर गर्व है।” विशेषज्ञों ने कहा कि नींद और पौष्टिक आहार को प्राथमिकता दें। सोशल मीडिया पर तुलना से बचें। असफलता को अनुभव समझें, मूल्यांकन नहीं। हर दिन “डिजिटल डिटॉक्स” के लिए 30 मिनट का ब्रेक रखें। अपने काम को “मिशन” नहीं “यात्रा” की तरह देखें।
महिलाओं को सलाह दी गई कि वे “केयर गिवर बर्नआउट” से बचें।
“खुद की देखभाल स्वार्थ नहीं, जिम्मेदारी है।” घरेलू महिलाओं के लिए “माइंडफुल होम वर्क” के छोटे अभ्यास सुझाए गए खाना बनाते समय खुशबू और स्वाद पर ध्यान दें। सफाई करते समय शरीर के मूवमेंट को महसूस करें। रोज़ एक बार चाय पीते समय सिर्फ स्वाद पर ध्यान दें, फ़ोन न देखें। ऐसे छोटे क्षण मस्तिष्क को विश्राम देते हैं और तनाव हार्मोन “कॉर्टिसोल” घटाते हैं।
यदि लंबे समय तक उदासी, निराशा, आत्म-हानि के विचार, या दैनिक कामकाज में रुचि की कमी हो तो विशेषज्ञ से परामर्श लें। “मन का दर्द भी उतना ही वास्तविक है जितना शरीर का। टेली मानस हेल्पलाइन (14416 या 1800-891-4416) 24 घंटे उपलब्ध है। यह सेवा गोपनीय, निःशुल्क और हिंदी सहित कई भाषाओं में है।
ऑनलाइन संवाद में प्रतिभागी नीतीश भारद्वाज ने कहा कि जब मैं अपने दोस्तों से तुलना करता हूँ तो चिंता बढ़ जाती है। इस पर विशेषज्ञों ने समझाया कि तुलना से नहीं, आत्म-स्वीकार से शांति आती है। इस संवाद ने यह भी दिखाया कि मानसिक स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक विषय है। जब हम एक-दूसरे को सुनते हैं, तो अकेलापन कम होता है और उम्मीद बढ़ती है। कभी-कभी हम सोचते हैं कि हमें खुशियाँ ढूंढनी हैं, जबकि वे तो भीतर ही सोई होती हैं। बस उन्हें जगाने के लिए थोड़ा ठहरना, थोड़ा मुस्कुराना और थोड़ा आत्म-संवाद करना होता है।
प्रतिभागी नमीषा गोयल के प्रश्न का जवाब देते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों पर क्रोध न करे। असल में तो जब हम बच्चों पर किसी बात पर गुस्सा करते है या डांटते है, वहीं समय होता है जब बच्चों को प्यार और देखभाल की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। जिम्मेदार अभिभावक के रूप में अपने बच्चों का ध्यान रखे क्योंकि वह हम से ही सीखते है।
उन्होंने आह्वान किया कि सभी नागरिक स्वस्थ जीवनशैली अपनाए और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता बनाए। यह कार्यक्रम युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों और परिवारों के लिए समान रूप से उपयोगी साबित हुआ और समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद की। वहीं सीएचसी सरूरपुर से चिकित्सा अधीक्षक डॉ सत्येंद्र, ईओ हरिलाल पटेल सहित अन्य प्रतिभागियों ने भी सवाल जवाब किए।
मानसिक स्वास्थ्य हेतु जिला चिकित्सालय में पाए परामर्श
अगर देश में हुए 2016 में हुए मेंटल हेल्थ सर्वे की बात करें तो उसके अनुसार हर दसवां व्यक्ति मानसिक रोग से ग्रसित था। अब नया मेंटल हेल्थ सर्वे शुरू हुआ है, जिसकी रिपोर्ट 2026 में आएगी। यह सर्वे हर 10 साल के बाद होता है। जिला चिकित्सालय बागपत में कक्ष संख्या 09 में ओपीडी एवं कक्ष संख्या 101 में मन कक्ष विभाग संचालित है जिसमें प्रतिदिन मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा परामर्श विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है जबकि मनकक्ष विभाग में काउंसलिंग की जाती है। रोजाना 70 से 80 लोगों को ओपीडी में परामर्श मिलता है। वहीं विभाग द्वारा विभिन्न संस्थानों में कैंप आयोजित कर मानसिक स्वास्थ्य जन जागरूकता हेतु कार्य किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत परामर्श के लिए टेली मानस हेल्प लाइन संख्या 14416 या 1800 891 4416 पर कॉल कर विशेषज्ञों से फोन पर उचित परामर्श ले सकते है।
सूचना विभाग बागपत