बागपत, 14 अक्टूबर 2024 – बागपत के छोटे से गाँव ट्यौढी में पले-बढ़े अमन कुमार ने आज वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। दुनिया भर में उनकी उपलब्धियों की चर्चा हो रही है, लेकिन अमन ने कभी अपनी जड़ों से नाता नहीं तोड़ा। वे आज भी बागपत और अपने गाँव के विकास के लिए उतने ही समर्पित हैं, जितने कि अपनी वैश्विक परियोजनाओं के लिए।
हाल ही में अमन को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई, जो उनके अथक परिश्रम और समाज सेवा का प्रमाण है। यह पुरस्कार मिलने के बाद भी, अमन का ध्यान अपने क्षेत्र और वहाँ के युवाओं को सशक्त करने पर केंद्रित है।

वैश्विक पहचान, लेकिन स्थानीय प्रतिबद्धता
अमन कुमार को नेहरू युवा केंद्र और जिला प्रशासन के साथ मिलकर बनाई गई ‘कांवड़ यात्रा एप’ से प्रारंभिक पहचान मिली। इसके जरिए, उन्होंने कांवड़ियों को यात्रा के दौरान मार्गदर्शन प्रदान किया, जिससे 3 लाख से अधिक यात्रियों को मदद मिली। इस सफलता के बाद भी, अमन ने अपने जिले और गाँव के लिए काम करना नहीं छोड़ा। वे बागपत के युवाओं को डिजिटल दुनिया से जोड़ने और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।
हालाँकि अमन के प्रोजेक्ट्स ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ बटोरीं, जैसे कि हंड्रेड ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड में उनका काम, जहाँ वे भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, लेकिन उनकी प्राथमिकता हमेशा बागपत के विकास की रही है। वे मानते हैं कि चाहे जितनी भी ऊँचाइयाँ हासिल कर ली जाएँ, असली कर्तव्य अपने गाँव और लोगों के प्रति होता है।
गाँव की मिट्टी से जुड़े रहकर वैश्विक मंचों पर छाई चमक
अमन ने अपने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बागपत के ग्रामीण युवाओं की समस्याओं को भी उठाया। वह उड़ान यूथ क्लब के माध्यम से स्थानीय युवाओं को शैक्षिक और कैरियर अवसरों से जोड़ रहे हैं। उनकी यह पहल ‘प्रोजेक्ट कॉन्टेस्ट 360’ के जरिए 81 लाख से अधिक ग्रामीण युवाओं को अवसर प्रदान कर रही है। इस परियोजना का मकसद ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को ऐसी जानकारी और संसाधन उपलब्ध कराना है, जिससे वे अपने कैरियर को सही दिशा दे सकें।
अमन का मानना है कि चाहे आप कितने भी बड़े मंच पर पहुँच जाएँ, अगर आपकी जड़ें मजबूत नहीं हैं, तो आपकी सफलता अधूरी है। यही कारण है कि अमन, अपने अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों और संसाधनों का इस्तेमाल बागपत के ग्रामीण विकास के लिए कर रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक नवाचार
अमन कुमार ने न केवल डिजिटल नवाचार किए हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी किताब ‘चूज लाइफ’ को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है, जिसमें जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता की अहमियत पर ज़ोर दिया गया है। अमन के ये सभी प्रयास इस बात को दर्शाते हैं कि उनकी सोच वैश्विक है, लेकिन उनकी प्राथमिकताएँ स्थानीय हैं।
अमन ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर युवाओं को जागरूक करने के लिए क्लाइमेट कार्डिनल्स साउथ एशिया चैप्टर के तहत भी काम किया, जिसमें वे युवा नेतृत्व को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनका उद्देश्य न केवल पर्यावरण की सुरक्षा करना है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि बागपत और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी इस मुहिम में शामिल हों।
स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड: बागपत की मिट्टी के लिए गर्व का पल
अब जब अमन कुमार को स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है, बागपत के लोगों के लिए यह गर्व का विषय है। लेकिन अमन के लिए यह पुरस्कार सिर्फ उनकी व्यक्तिगत सफलता का प्रतीक नहीं है, बल्कि उनके इस संकल्प का प्रमाण है कि चाहे वे कितनी भी ऊँचाई पर पहुँच जाएँ, उनका पहला उद्देश्य अपने क्षेत्र और वहाँ के युवाओं का विकास ही रहेगा।
अमन की सफलता यह संदेश देती है कि अगर आप अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, तो वैश्विक मंचों पर भी आपकी पहचान और चमक कभी फीकी नहीं पड़ती। वह बागपत के युवा वर्ग के लिए एक आदर्श बने हुए हैं, और उनका यह सफर केवल उनकी नहीं, बल्कि उन सभी ग्रामीण युवाओं की प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।
अमन का संदेश: “वैश्विक मंचों पर सफलता तभी मायने रखती है जब आप अपने क्षेत्र के विकास में योगदान देते रहें”
अमन कुमार का जीवन इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि चाहे आप कितनी भी ऊँचाइयों पर क्यों न पहुँच जाएँ, आपको अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। वह मानते हैं कि असली सफलता वही होती है, जो आपके साथ आपके क्षेत्र और लोगों के लिए भी कुछ अच्छा कर जाए। अमन ने यह साबित कर दिखाया है कि तकनीकी नवाचार, वैश्विक मंचों पर सक्रियता, और अपने गाँव के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आप समाज में वास्तविक परिवर्तन ला सकते हैं।
उनका कहना है, “मैंने अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया है, वह बागपत की मिट्टी से मिला है। इसलिए, मेरा कर्तव्य है कि मैं इसे वापस लौटाऊं और अपने गाँव के युवाओं को भी आगे बढ़ने का अवसर दूँ।”
अमन कुमार की यह कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा है, जो न केवल अपने भविष्य को संवारना चाहते हैं, बल्कि अपने क्षेत्र और समाज को भी सशक्त करना चाहते हैं। अमन ने यह साबित कर दिया है कि आपकी पहचान सिर्फ आपकी सफलता से नहीं, बल्कि आपके समाज के प्रति आपके योगदान से बनती है।