ये कहानी है बैंडिट क्वीन फिल्म के बाबू गुज्जर की। ये वही कलाकार हैं जिन्हें रामसे ब्रदर्स की फिल्मों में आपने भूत के किरदार निभाते देखा होगा। इनका नाम है अनिरुद्ध अग्रवाल। आज इनका जन्मदिन है। 20 दिसंबर 1949 को देहरादून में अनिरुद्ध अग्रवाल जी का जन्म हुआ था। अनिरुद्ध जी ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि वो एक दिन एक्टर बन जाएंगे। ये तो बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे। एक दिन देहरादून में जितेंद्र अपनी किसी फिल्म की शूटिंग करने आए। अनिरुद्ध अग्रवाल भी अपने कुछ दोस्तों के साथ देखने पहुंच गए। और जब वहां इन्होंने जितेंद्र के प्रति लोगों की दीवानगी देखी तो इनका मन हुआ कि ये भी जीवन में कुछ ऐसा काम करें जिससे लोग इन्हें देखने के लिए भीड़ लगाएं। कुल मिलाकर अनिरुद्ध अग्रवाल जी भी फिल्मी दुनिया से जुड़ने के ख्वाब देखने लगे।

Subhash Chand

BySubhash Chand

Dec 24, 2024
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अनिरुद्ध जी ने फिल्मी दुनिया में जाने का ख्वाब देख तो लिया। लेकिन घर पर इसके बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। क्योंकि अनिरुद्ध जी अपने पिता से बहुत डरते थे। पिता को अगर पता चल जाता कि ये फिल्म लाइन में जाना चाहते हैं तो वो नाराज़ होते। शायद गुस्से में हाथ भी उठा देते। अनिरुद्ध चुपचाप कॉलेज में होने वाले कल्चरल इवेंट्स में पार्टिसिपेट करने लगे। नाटकों में भी हिस्सा लेने लगे। इसी बीच रुढ़की इंजीनियरिंग कॉलेज(जो अब आईआईटी रुढ़की है) में अनिरुद्ध अग्रवाल जी को दाखिला मिल गया। ये रुढ़की आ गए। इस कॉलेज में भी अनिरुद्ध अग्रवाल एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेते रहे। पहला साल आराम से गुज़र गया। लेकिन दूसरे साल में परीक्षा में अनिरुद्ध जी की सप्लीमेंट्री आ गई। ये बड़े परेशान हुए। इन्होंने कॉलेज से कुछ दिन की छुट्टी ले लगी। घर जाने की बात कहकर।

मगर घर जाने कि बजाय अनिरुद्ध अग्रवाल पहुंच गए मुंबई। मुंबई में किसी तरह ये अपने एक परीचित के घर पहुंच गए और वहां जाकर रहने लगे। फिर वहां से अपने बड़े भाई के एक दोस्त के घर चले गए। घरवालों को इस दौरान सिर्फ इतना ही पता चल सका कि लड़का कॉलेज से भाग गया है। उन्हें ना तो ये पता था कि अनिरुद्ध कहां हैं। और ना ही इस बात की खबर थी कि अनिरुद्ध फेल हो गया है। दूसरी तरफ अनिरुद्ध भाई के जिस दोस्त के यहां ठहरे हुए थे वहां जब इन्हें काफी दिन हो गए तो इन्होंने वहां से शिफ्ट होने का फैसला किया। क्योंकि अब इन्हें शर्म आने लगी थी किसी के घर ऐसे बोझ बनकर पड़े रहने में। अनिरुद्ध जी एक गेस्ट हाउस में आ गए। मगर कुछ दिन बाद जब इनके पैसे खत्म हो गए तो ये मुसीबत में आ गए। वो गेस्ट हाउस भी छोड़ना पड़ा। उस बुरे वक्त में कॉलेज के एक सीनियर ने इनकी मदद की जो उस वक्त मुंबई में ही था।

वो सीनियर मेरठ का था। वो अनिरुद्ध को अपने साथ अपने घर मेरठ ले आया। वहां अनिरुद्ध को खिला-पिलाकर और कपड़े दिलाकर उसने इन्हें वापस देहरादून भेज दिया। डरते डरते अनिरुद्ध घर आ गए। डर था पिता की नाराज़गी का। लेकिन पिता ने कुछ नहीं कहा। अनिरुद्ध वापस तो आ गए थे। मगर फिल्मों में काम करने का जुनून इन पर अब भी हावी था। इस वक्त तक इन्हें एफटीआईआई पुणे की खबर मिल चुकी थी। सो इन्होंने वहां दाखिले की तैयारी करनी शुरू कर दी। फिर सही समय आया तो अनिरुद्ध जी ने दाखिले के लिए अप्लाय कर दिया। अनिरुद्ध जी का इंटरव्यू मुंबई में हुआ। किसी तरह ये फिर से मुंबई पहुंचे। इनका इंटरव्यू लेने वाले पैनल में मिथुन चक्रवर्ती भी थे। अनिरुद्ध की बातों से मिथुन दा बहुत प्रभावित हुए। अनिरुद्ध जी का सिलेक्शन एफटीआईआई में हो गया।

मगर एफटीआईआई इनके नसीब में ही नहीं था। घरवालों को जब इस बात की खबर मिली की अनिरुद्ध तो फिल्म लाइन में जाने की तैयारी कर रहा है तो वो बड़ा नाराज़ हुए। पिता ने धमकी दी कि अगर इंजीनियरिंग पूरी नहीं की तो घर से एक रुपया मदद के लिए नहीं मिलेगा। ना ही घर से कोई नाता रहेगा। मजबूर अनिरुद्ध अग्रवाल वापस रुढ़की लौट आए। और साल 1974 में इन्होंने अपनी सिविल इंजीनियरिंग कंप्लीट की। डिग्री भी मिली। लेकिन डिग्री के डिसीप्लिन बॉक्स में इन्हें ज़ीरो दिया गया था। क्योंकि ये अपने दोस्तों संग खूब धमा-चौकड़ी जो मचाते थे। अनिरुद्ध को लगा कि अब तो शायद ही कोई उन्हें नौकरी देगा। पर चूंकि इंजीनियरिंग पूरी हो गई थी तो अनिरुद्ध अग्रवाल जी अब बिना किसी संकोच के मुंबई जा सकते थे। सो वो गए भी। और इस दफा अपने एक दोस्त के पास ठहरे जो अब तक मुंबई शिफ्ट हो चुका था। दोस्त ने एक बिल्डर के पास अनिरुद्ध को काम पर लगवा दिया।

अनिरुद्ध अग्रवाल जी की हाइट छह फीट चार इंच है। एक दिन इन्होंने नोटिस किया कि लोग इनसे ज़रा डरने लगे हैं। इन्हें समझ नहीं आया कि मामला क्या है। लोग इनसे बात करने में क्यों कतराते हैं? फिर एक दिन जब ये शीशे में खुद को निहार रहे थे तो इन्हें आभास हुआ कि इनके चेहरा, कान, हाथ की उंगलियां व पैर फैलने लगे हैं। अनिरुद्ध डॉक्टर के पास गए। डॉक्टर ने जांच की और पता लगा कि अनिरुद्ध के पिटियूट्री ग्लैंड में ट्यूमर हो गया है। उस ट्यूमर की वजह से इनके शरीर के कुछ अंग फैलने लगे हैं। अनिरुद्ध जी का इलाज शुरू हुआ। इलाज के दौरान ही एक आदमी ने इन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह दी। अनिरुद्ध तो चाहते भी थे एक्टर बनना। मुंबई को अपना ठिकाना उन्होंने इसी वास्ते बनाया ही था। सो इनके लिए तो फिल्मों में काम करना मतलब सबसे खूबसूरत ख्वाब का सच होने जैसा था। उस आदमी ने अनिरुद्ध जी को रामसे ब्रदर्स के बारे में बताया और कहा कि जल्द से जल्द तुम्हें रामसे ब्रदर्स के ऑफिस जाना चाहिए।

उन दिनों रामसे ब्रदर्स पुराना मंदिर फिल्म पर काम चल रहा था। फिल्म की काफी शूटिंग पूरी भी हो चुकी थी। बाकि रह गए थे तो शैतान वाले दृश्य। क्योंकि जिस तरह का एक्टर रामसे ब्रदर्स पुराना मंदिर के शैतान के लिए ढूंढ रहे थे वो उन्हें मिला नहीं था। उन्हें चाहिए था एक ऐसा इंसान जिसकी काया वाकई में शैतान जैसी हो। इसलिए जब अनिरुद्ध अग्रवाल रामसे ब्रदर्स के ऑफिस पहुंचे तो वहां खुशी का माहौल बन गया। रामसे ब्रदर्स को जो चाहिए था वो खुद उनके ऑफिस में चलकर आ गया था। जबकी वो तो एक वक्त पर हार भी मान चुके थे और तय कर चुके थे कि जो एक्टर अवेलेबल है उसके साथ ही शैतान वाले दृश्य पूरे करके फिल्म रिलीज़ कर दी जाएगी। थोड़े टेस्ट लेकर अनिरुद्ध अग्रवाल को पुराना मंदिर फिल्म के लिए साइन कर लिया गया। और इस तरह अनिरुद्ध अग्रवाल बने पुराना मंदिर का राक्षस सामरी। पुराना मंदिर हिट रही। सामरी का किरदार लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गया। और इस तरह अनिरुद्ध अग्रवाल की बॉलीवुड जर्नी स्टार्ट हो गई। अनिरुद्ध जी ने रामसे ब्रदर्स की और कुछ फिल्मों में भी काम किया।

तो साथियों, ये थी अनिरुद्ध अग्रवाल जी की कहानी। आज अनिरुद्ध अग्रवाल जी 75 साल के हो गए हैं। किस्सा टीवी ईश्वर से प्रार्थना करता है कि अनिरुद्ध अग्रवाल जी सदा सेहतमंद रहें और खुश रहें। अनिरुद्ध जी अब फिल्मों से दूर खुद को कर चुके हैं। उनका कंस्ट्रक्शन का अपना कारोबार है। उनका एक बेटा व बेटी हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वो दोनों शादी करके अमेरिका सेटल्ड हो चुके हैं। #aniruddhagarwal #happybirthday

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